हमारे निदेशक

श्री ए राजराजन ने जुलाई 2019 में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र शार, श्रीहरिकोटा के निदेशक का कार्यभार संभाला है। वे संयोजन सामग्री में विशेषज्ञ हैं तथा उन्होंने कंपोजिट उत्पादों की डिजाइन औरप्रक्रमण में व्यापक स्तर पर कार्य किया एवंइसरो के कार्यक्रमों हेतु विभिन्न उपग्रह एवं प्रमोचन यान संरचना के विकास हेतु कई नवीन प्रौद्योगिकियों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

एक “असाधारण वैज्ञानिक” ग्रेड अधिकारी के रूप में तथा वीएसएससी के कंपोजिट एंटिटि एवं संरचना एंटिटि के उप निदेशक के रूप, में श्री राजराजन ने इसरो के सभी कार्यक्रमों हेतु संरचनात्मक उत्पादों के विकास एवं सुपुर्दगी की जिम्मेदारी वहन की।

कंपोजिट एंटिटि के निदेशक के रूप में उनके नेतृत्व में कंपोजिट उत्पादों के विस्तृतश्रेणी का विकास किया गया।यांत्रिक इंजीनियरिंग में स्नातक की उपाधि प्राप्त करने के बाद,श्री राजराजन,1987 मेंवीएसएससी/इसरो के फाइबर सुदृढीकरण प्लास्टिक प्रभाग के वैज्ञानिक/इंजीनियर के रूप में वीएसएससी में भर्ती हुए।अगस्त 2015 में कंपोजिट एंटिटि के निदेशक के रूप में कार्यभार संभालने से पहले, उन्होंने कंपोजिटों अंतरिक्षयान एवं आधुनिक संरचना समूह के समूह निदेशक के रूप में कार्य कियाजो अंतरिक्षयानों हेतु संरचनात्मक कंपोजिट उत्पादों के विकास एवं निर्माण,उच्च तापमान अनुप्रयोगों हेतु कंपोजिट आधारित ऑप्टिकल संरचना एवं उत्पादों कीजिम्मेदारीनिभाती है।

विभिन्न उपग्रह उत्पादों के विकास हेतु उन्होंने व्यापक कार्य किया एवं कई नवीन प्रक्रमण तकनीकों का विकास किया जैसे उच्च परिशुध्दि एंटेना, तापीय स्थैतिक संरचना, द्वि ग्रिडेड परावर्तक, पेलोड सहायक संरचना एवं सौर विन्यास तत्व, जिनका इसरो के कई उडान कार्यक्रमों में सफलतापूर्वक प्रयोग किया गया।उन्होंने ऐसे दल का नेतृत्व किया जो उच्च तापमान कंपोजिटो का विकास अति ही जटिल पुन: प्रयोग अभियानों जैसे एसआरई, आरएलवी-टीडी, एचएसपी एवं एबीपीपी के लिए करती है। वे कंपोजिट दल का भी नेतृत्व कर रहे थे, जो विभिन्न प्रमोचन यान जीएसएलवी मार्क-III/जीएसएलवी/पीएसएलवी/आरएलवी-टीडी/एचएसपी के अभियानों के लिए कंपोजिट एलीमेंटों का विकास करती हैं।उनके मार्गदर्शन में दल ने पीएसएलवी अनुप्रयोगों हेतु जीएसएलवी मार्क-III एवं बहु-उपग्रह अनुकूलक, द्वि प्रमोचन अनुकूलकों के लिए नई चुनौतियोंके विकास जैसे 5m dia. x 10.7m ऊंचाई 0 गीव पेलोड फेयरिंग, ग्रिडेड संरचना, अंतरटैंक संरचना आदि को अंजाम दिया। श्री ए राजराजन ने महत्वपूर्ण तकनीकों के विकास हेतु इसरो के भागीदारों के रूप में कई उद्योगों को लाने के लिए भी सक्रिय रूप से महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वर्तमान में सभी भारतीय उपग्रहों तथा प्रमोचन यानों हेतु कई कंपोजिट एलीमेंट्स भारतीय उद्योगों के माध्यम से तैयार किए जा रहे हैं।

श्री ए राजराजन नेअक्टूबर 2017 से अप्रैल 2018 तक नोदन एवं अंतरिक्ष आयुध एंटिटि (पीआरएसओ) के कार्यकारी उप निदेशक के रूप में भी कार्य कर रहे थे। पेलोड फेयरिंग के पृथक न होने के पीएसएलवी सी39 मिशन की अनियमितता के तुरंत बाद उन्होंने पीआरएसओ एंटिटि का कार्यभार संभाला।पीआरएसओ के निदेशक के रूप में उन्होंने मुद्दों को व्यवस्थित तरीके से हल करने, समीक्षा तंत्र का गठन, आयुध तंत्र की विश्वसनीयता में सुधार की प्रक्रिया व्यवस्थित करनेहेतुअपने दल को प्रेरित किया। सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र शार के निदेशक का कार्यभार संभालने के पहले उप निदेशक के रूप में उन्होंनेवीएसएससी के विभिन्न एंटिटियों में नोदन एवं अंतरिक्ष आयुध एंटिटि (पीआरओएस), अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी आयुध एंटिटि (एएसओई), कंपोजिट एंटिटि (सीएमएसई) एवं संरचना एंटिटि (एसटीआर) में अपना योगदान दिया।

श्री ए राजराजन 2015 में इसरो का मेरिट पुरस्कार, 2010 में गगन पेलोड हेतु के यू बैंड परावर्तक की डिजाइन एवं विकास हेतु दल उत्कृष्टता पुरस्कार, 2011 में द्वि ग्रिडेड परावर्तक की डिजाइन एवं विकास तथा 2015 मेंअब्लेटिव तापीय सुरक्षा तंत्र हेतु नियर-नेट शेप माउल्डिंग तकनीक का विकास आदि पुरस्कार प्राप्त कर चुके हैं।

श्री ए राजराजन कई व्यावसायिक निकायों जैसे-आईएसएएमपीई, एईएसआईआदिके सदस्य भी हैं । वर्तमान में वे आईएसएएमपीई, तिरूवनंतपुरम अध्याय के अध्यक्ष हैं। कंपोजिट के क्षेत्र में उनके राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कई लेख प्रकाशित हुए हैं।