एसडीएससी शार के बारे में
एसडीएससी शार – एक ऐसा द्वीप है जहां प्रौद्योगिकी उत्कृष्टता तकनीकविदों (टैक्नोक्रैट्स) के साथ प्रकृति का सानिध्य पाती है।

सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र शार (एसडीएससी शार), श्रीहरिकोटा, भारत का स्पेसपोर्ट, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन, अंतरिक्ष विभाग, भारत सरकार का प्रमुख केन्द्र है। यह केन्द्र सुदूर संवेदन, दूरसंचार, नौसंचालन एवं वैज्ञानिक उद्देश्यों के लिए विविध प्रमोचन/उपग्रह मिशनों की पूर्ति के लिए राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय प्रयोक्ताओं को विश्व स्तरीय प्रमोचन आधार की ढांचागत संरचना उपलब्ध कराता है तथा इसे विश्व के सर्वश्रेष्ठ स्पेसपोर्टों में से एक माना जाता है। शार (श्रीहरिकोटा रेंज) के नाम से प्रचलित अंतरिक्ष केन्द्र का इसरो के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर सतीश धवन की स्मृति में सितंबर 05, 2002 में पुनः नामकरण कर सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र रखा गया।

एसडीएससी शार की उत्पत्ति का पता 1960 के उस दशक से लगता है जब महान दूरदर्शी डॉ. ए विक्रम साराभाई ने देश में अंतरिक्ष अनुसंधान गतिविधियों की शुरूआत की थी और परिकल्पना की गई थी कि हमें मनुष्य और समाज की वास्तविक समस्याओं के लिए उन्नत प्रौद्योगिकियों के अनुप्रयोग में किसी से पीछे नहीं रहना चाहिए। उपग्रहों एवं उनके प्रमोचन यानों के स्वदेशी विकास के लिए देश के पूर्वी तट पर आबादी वाले क्षेत्रों से काफी दूर एक रॉकेट प्रमोचन केन्द्र की स्थापना का निर्णय लिया गया। विविध मशनों के लिए श्रेष्ठ दिगंश कॉरिडोर, भूमध्यरेखा से निकटता (पूर्व की ओर जाने वाले प्रमोचनों के लाभार्थ) और सुरक्षा की दृष्टि से एक विशाल निर्जन क्षेत्र जैसी प्रमुख सुविधाओं ने श्रीहरिकोटा को स्पेसपोर्ट के लिए एक आदर्श स्थल बना दिया। आन्ध्र प्रदेश के तिरूपति जिले में स्थित यह धुराकारी द्वीप पुलीकाट झील के पश्चजल में है जो पश्चिम में बकिंघम नहर तथा पूर्व में बंगाल की खाड़ी से घिरा है जिसे 1969 में हमारे देश के रॉकेट प्रमोचन केन्द्र के रूप में चुना गया। यह 09 अक्तूबर 1971 में ‘रोहिणी-125’ नामक एक लघु ध्वनिक (साउण्डिंग) रॉकेट की उड़ान के साथ चालू हुआ। तब से इसरो की बढ़ती आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए धीरे-धीरे यहां पर सुविधाएं विकसित की गई हैं। सुल्लुरपेट से दूर – चेन्नई-कोलकाता राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच-5) पर एक छोटा सा नगर – जहां से 20 मिनट की दूरी पर पूर्व की ओर पुलिकाट झील पर बिछी सड़क सीधे श्रीहरिकोटा को जाती है।

श्रीहरिकोटा 50 किमी की तटरेखा के साथ लगभग 43,360 एकड़ (175 वर्ग किमी) क्षेत्र में फैला हुआ है। यूकेलिप्टस, कैसुरीना वृक्षारोपण, झाड़ीदार जंगल की वनस्पति (कुछ औषधीय जड़ी-बूटियों सहित), उथले ताजे पानी के तालाबों के आसपास नारियल और ताड़ और बेंत के पेड़ श्रीहरिकोटा के अप्रतिम प्राकृतिक सौंदर्य की शोभ बढ़ाते हैं। भूमि के बढ़ते उपयोग की भरपाई करने और प्रकृति को संतुलित करने के लिए, वन पुनर्जनन की एक साथ कार्रवाई पर विचार किया गया है और सही ढंग से कार्यान्वित किया गया है। इन सभी उपायों से श्रीहरिकोटा की वनस्पतियों और जीवों के संरक्षण में मदद मिली है। दक्षिण-पश्चिम और उत्तर-पूर्वी दोनों मानसून द्वीप की आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं। हालाँकि, बाद में केवल अक्टूबर-दिसंबर के दौरान बारिश होती है, इस प्रकार बड़ी संख्या में धूप वाले दिन उपलब्ध होते हैं जो बाह्य (आउट-डोर) स्थैतिक परीक्षणों और प्रक्षेपण कार्यों के लिए उपयुक्त होते हैं। अक्टूबर-दिसंबर के दौरान, दूर-दराज के स्थानों से हजारों प्रवासी पक्षी पुलिकट झील पर आते हैं, जिससे श्रीहरिकोटा क्षेत्र पक्षी विज्ञानियों और प्रकृति प्रेमियों के लिए एक स्वर्ग में बदल जाता है।

- निदेशक, एसडीएससी शार